प्रदोष व्रत की कहानी | धार्मिक कहानी निराले रंग | प्रदोष व्रत विशेष

प्रदोष व्रत की धार्मिक कहानी 


कथा कहानी हिन्दू घर्म
प्रदोष व्रत की कहानी 

प्रदोष व्रत की कहानी :- 

सूयास्त के बाद और रात्रि के आगमन से पूर्व दोनों के बीच का समय प्रदोष कहलाता है। यह व्रत हर मास की तेरस के दिन किया जाता है। यह व्रत यदि कृष्ण पक्ष में शनिवार को आए, तो विशेष फल देने वाला माना जाता है। इसी प्रकार श्रावण के सोमवार का प्रदोष भी शुभ फल देने वाला माना गया है। कथा- एक गांव में एक अत्यन्त गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी सत्य मार्ग पर चलने वाली और धार्मिक प्रवृत्ति की  महिला थी। वह नियमित प्रदोष का व्रत किया करती थी।

एक समय की बात है कि ब्राह्मणी का पुत्र गंगा स्नान के लिए गया हुआ था। दुर्भाग्यवश रास्ते में चोरों ने उसे घेर लिया और बोले- 'तुम अपने पिता का गुप्त धन बतला दो, वरना हम तुझे मार डालेंगे।' बालक ने बड़ी विनम्रता से उत्तर दिया कि- हम लोग बहुत गरीब है, हमारे पास धन कहां है?' चोरों ने बालक की पोटली की ओर इशारा करते हुए पूछा- 'तेरी पोटली में क्या बंधा है?'

बालक ने निस्संकोच उत्तर दिया- 'इसमें मेरी मां ने रोटी बांधी है।' एक साथी चोर ने उसे गरीब समझ कहा- 'इस बालक को जाने दो, यह अति दीनहीन और गरीब है।' चोरों ने बालक को जाने दिया। बालक चलते-चलते एक नगर के समीप पहुंचा, वहीं एक बड़ का वृक्ष था। बालक उसकी छाया में बैठ गया। थकावट के कारण उसे नींद आ गई और वह वट वृक्ष के नीचे सो गया।
उधर राज्य के सिपाही चोरों की खोज करते हुए उस बालक के पास आ गए। सिपाही बालक को चोर समझकर राजा के पास ले गए। राजा ने भी उसे चोर समझकर कारावास की आज्ञा दे दी। उधर बालक की मां प्रदोष का व्रत कर रही थी। व्रत के प्रभाव से उसी रात राजा को स्वप्न दिखाई दिया कि तुमने जिस बालक को कारागार में बन्द कर रखा है, वह निर्दोष है, उसे प्रातः छोड़ देना, अन्यथा तुम्हारा राज-पाट शीघ्र नष्ट हो जाएगा। प्रातःकाल होते ही राजा ने सिपाहियों को आज्ञा दी कि बालक को कारावास से ससम्मान बुलाकर मेरे पास लाओ। सिपाही बालक को लेकर राजा के समक्ष उपस्थित हुए, तो राजा ने बालक से सब बाते पूछी।
बाते सुनने के बाद राजा ने सिपाहियों को भेजकर बालक के माता-पिता को अपने दरबार में बुलवा लिया। राजा ने ब्राह्मण और ब्राह्मणी को भयभीत देखकर कहा- 'तुम भय मत करो। तुम्हारा बालक निर्दोष है। हम तुम्हारी दरिद्रता देखकर पांच गांव तुम्हें दान में देते हैं।' इस प्रकार प्रदोष व्रत के प्रभाव एवं भोलेनाथ की कृपा से ब्राह्मणी एवं उसका परिवार सुख से रहने लगे।


Tags :- व्रत, hindu-story, hindu-dharm-katha, hindu-dharm, dharm, pradosh-kath, katha, 
 

 👇 🕮  ये भी पढ़े :-

  1.  बहुजनो के ही नही, डॉक्टर अम्बेडकर विश्व समाज के लिए महान व्यक्ति
  2. How To Save Your YouTube Channel - YouTube Tips | अपने यूट्यूब चैनल को कैसे सुरक्षित करे
  3. दिवाली का अर्थ ही पटाखे होता है लेकिन इस वर्ष राजस्थान में नही फोड़े पटाके
  4. अंगूर के पेड़ के पत्ते कैसे होते हैं? | क्या अंगूर के पेड़ होते है?
  5. गलत कर्म का गलत फल -हिन्दी कहानी
  6. international Womens Day Special Hindi Kavita अब लड़ना होगा : नारी
  7.  प्रदोष व्रत की कहानी
  8. शिवरात्रि और आध्यात्मिक प्रगति- Brahmakumaris
  9. तिल चौथ या सकट चौथ कथा  
  10. अहोई अष्टमी व्रत हिन्दू धर्म कथा  
  11. आंवला नवमी की कथा  
  12. पथवारी माता की कहानी-शीतला अष्टमी एवं कार्तिक पूजा  
  13. गणेशजी की कथा- गणेशचतुर्थी विशेष कथा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ