प्रार्थना और प्रयत्न
पुरानी बात हैं. बालक
गुल्ली-डंडा खेल रहे थे. वे नन्हे कोमल दिल के थे. खेल लगन से खेल रहे थे. उनकी
उम्र 5 से 7 वर्ष की थी.
खेल में कभी झगड़ते है. तो कभी प्यार से खेलते है.
भोजन का तो ध्यान भूल जाते हैं. वे खेल को ही सबसे बड़ा सुख समझते है.
सवेरे का समय था, चार-पांच बालक गली में खेल
रहे थे. गुल्ली-डंडा में दाव पे दाव पे दाव चलते थे. पदना और पदाना रोचक था.
सोनू की बारी आयी. उसने
गुल्ली उछाली ! एकदम गुल्ली दिवार पर जा बैठी. दीवार ऊपर से खाली थी. और अधिक ऊँची
न थी. लेकिन सब बालको के पहुँच से ऊपर थी.
अचानक, सब बालक चिंता ने पड़ गए ! गुल्ली
उतारने की तरकीब सोचने लगे. एक-एक कर कोशिश करता गया. लेकिन गुल्ली तक, किसी का
हाथ न पहुंचा.
बालक हताश हो गये. जैस, उनका सब कुछ लुट गया.
वे सोचने लगे. अब किसको कहे ?
झूम उठा फरीद, और बोला ! अब हमें चिन्ता नही
होंगी. वाह ! गुल्ली दिवार से निचे आती है. वह मुस्लिम बालक कहने लगा. मेरी अम्मा
कहती है. अल्लाह को याद करने से, वे प्रकट होंगे. और हमारा काम बन जायेंगा.
फरीद नवाज पढ़ने की क्रिया करने लगा. उसने बहुत
समय तक ऐसा किया. और बीच बीच में चुपके से गुल्ली को देख रहा था. वह सोच रहा था.
अल्लाह बड़े है. अब हमें गुल्ली मिल रही हैं.
बालक थक गया. गुल्ली न मिली. वह दु:खी हो गया.
फिर फपक फपक कर रोने लगा. दुसरे बालक देख रहे थे. उन में से एक बोला भोला ! अरे रहने
दे. तेरे अल्लाह ! कही सो गये, होंगे. तू रो मत.
इधर देख मेरे दादा कहते है. भोलेनाथ बड़ा है. वे
हमारा काम पल में के देते हैं. अभी हमें दीवार से गुल्ली दे देगें. वह हिन्दू बालक
था. उसने मिट्टी की शिवलिंग बनाई. और आँख बंद कर ली. हाथ जोड़ लिए तथा प्रार्थना
में ओउम् नम: शिवाय बोलने लगा.
इस तरह बहुत समय निकल गया. लेकिन न भोला के भोलेनाथ
आए ! और न ही गुल्ली मिली. बालक भावावेश हो गया. गला फाड़-फाड़ कर रोने लगा. मेरी
गुल्ली दे दो !
सब कहते है बालको में भगवान होते है, परन्तु आज
यह बाल क्रीड़ा का आनन्द भगवान से बड़ा था. बालक मन के सच्चे होते है. जब उनका काम न
होता है तो वे रोने लगते है. बालको ने जो घर में देखा! वैसा यहाँ लगे. लेकिन
सच्चाई से परे थे.
सहसा, तीसरा बालक मरियम बोला, रहने दो अपना
नाटक. भला आपके अल्लाह और भोलेनाथ है ही नहीं ! तुम झूठ बोलते हों. अब तुम चुपचाप
देखो. मेरे ईसा आते है. और फट से हमारी सहायता करेंगे. हमे दीवार से गुल्ली दे
देंगे.
वह
इसी बालक कहने लगा. मेरे डेडी कहते है ईसा को याद करो. वे तत्काल आ जाते है. फिर
उसने लकड़ी के दो डंटल उठाये उससे क्रॉस बनाया. उससे घर जैसा होता है. वह वैसे ही
करने लगा.
सब बालक हैरान थे. कब ईसा प्रकट होवे. और उनकी
गुल्ली दे दे. बहुत समय तक मरियम ने ईसा को याद किया. जैसे कोई जादू होने वाला हो.
लेकिन कुछ भी नही हुआ. बालक परेशान हो गया. उसकी आंख भर गयी.
इस तरह
अन्य बालको ने प्रार्थना कर ली. ऐसा जिस जगह हो रहा था. वह एक अनोखा विचित्र दृश्य
था. सब बालक उदास हो गये थे.
थोड़ी ही दुरी पर एक साधू बैठा था. वह यह सब
बड़ी चाव से देख रहा था. जब सब बालक हताश हुए थे. तब साधू उसके पास गया. और बिना
कुछ कहे. दीवार से गुल्ली नीचे ले ली. फिर बालको को दे दी.
बालक भापना चाहते थे. गुल्ली देने वाला किसके
भगवान हैं? फरीद कहता है –आप मेरे अल्लाह है, या भोले के भोलेनाथ अथवा मरियम के
ईसा.
सभी ने एक साथ पूंछा, आप किसके देव है.
साधू ये देख धर्म संकट में था. वह सोचने लगा इन्हें क्या कहूँ किसी एक पर ध्यान
करू तो दुसरे रोने लग जायेंगे. और मै भगवान भी तो नही हूँ.
उन्होंने बालको से कहाँ मै एक इन्सान हूँ,
मेरा ईश्वर और धर्म एक ही है, और वह है दूसरो को भलाई. हम सब में ईश्वर एक ही हैं,
धर्म तो हमारे स्वार्थो की सजा हैं. सबसे बड़ा धर्म मानव का मानवता से हैं.
जो दूसरो की भलाई करता है वो भगवान बन जाता
है, जिस प्रकार मै तुम्हारे लिए हो गया हूँ. अब मै तुम्हे भगवान ही लग रहा हूँ.
बात गुल्ली की, तो तुमने प्रार्थना ज्यादा
की और प्रयत्न कम किया. यदि प्रार्थना और प्रयत्न साथ किया होता तो सफलता तुम्हे
मिल जाती.
यह सुनकर सब बालक गदगद हो गये.और एक साथ साधू
के चरणों में नत-मस्तक हो गये.
शिक्षा:- इन्सान को हमेशा
ईश्वर के याद के साथ कर्म को करते रहने पर सफलता जल्दी मिल सकती है.
1 टिप्पणियाँ
There may be leptitox different reasons for increase in weight. But unfortunately most of the times, the focus is more on the symptoms than the actual reason.
जवाब देंहटाएंhttps://www.marketwatch.com/press-release/leptitox-reviews---is-it-scam-or-work-chemist-warehouse-5-second-water-hack-2020-02-04